जरूरतमंद के लिए खून के हर कतरे में जिंदगी बसती है, समय रहते इसे उपलब्ध करवाकर किसी व्यक्ति को जीवनदान दिया जा सकता है। इस भावना से शहर के कई लोग पिछले कई वर्र्षों से ब्लड डोनेशन को जिन्दगी के उद्देश्यों में शामिल किए हुए हैं। वल्र्ड ब्लड डोनर-डे पर आइए इन्हीं लोगों के ब्लड डोनेट करने के संकल्प के बारे में जानते हैं।
जयपुर। जहां आज भी बहुत से लोग ब्लड डोनेट करने में हिचकते हैैं, वहीं शहर के इन लोगों ने सैकड़ों जिंदगियों को मौत के मुंह में जाने से बचाया है। जरूरतमंदों के लिए ब्लड डोनेट करने का इनका संकल्प इनके लिए जुनून से कम नहीं है। ब्लड डोनेशन कैंप में ये लोग सबसे आगे होते हैं, साथ ही जरूरत पडऩे पर हॉस्पिटल्स में भी ब्लड डोनेट करते हैं। ब्लड डोनेट को लेकर सारी भ्रांतियां निर्मूल हैं।
ट्रेजडी से सबक
मेरे एक परिचत काएक्सीडेंट होने पर जब उसे एसएमएस हॉस्पिटल एडमिट करवाया गया, तो उसकी हालात नाजुक थी। समय पर ब्लड नहीं मिलने से वह नहीं बच सका। इस ट्रेजडी ने मुझे ब्लड डोनेट करने को प्रेरित किया। इसके बाद जब कभी किसी भी ब्लड डोनेशन कैंप में मौका मिला, मैं ब्लड डोनेट करने में सबसे आगे रहा। अब तक मैं 37 बार ब्लड डोनेट कर चुका हूं। ब्लड डोनेशन से मुझे आत्म संतुष्टि मिलती है। मेरा मानना है कि इमरजेंसी के समय में हमारे रक्त की एक-एक बूंद किसी को जिंदगी देती है।- सुशील शर्मा, मुरलीपुरा
जयपुर। जहां आज भी बहुत से लोग ब्लड डोनेट करने में हिचकते हैैं, वहीं शहर के इन लोगों ने सैकड़ों जिंदगियों को मौत के मुंह में जाने से बचाया है। जरूरतमंदों के लिए ब्लड डोनेट करने का इनका संकल्प इनके लिए जुनून से कम नहीं है। ब्लड डोनेशन कैंप में ये लोग सबसे आगे होते हैं, साथ ही जरूरत पडऩे पर हॉस्पिटल्स में भी ब्लड डोनेट करते हैं। ब्लड डोनेट को लेकर सारी भ्रांतियां निर्मूल हैं।
ट्रेजडी से सबक
मेरे एक परिचत काएक्सीडेंट होने पर जब उसे एसएमएस हॉस्पिटल एडमिट करवाया गया, तो उसकी हालात नाजुक थी। समय पर ब्लड नहीं मिलने से वह नहीं बच सका। इस ट्रेजडी ने मुझे ब्लड डोनेट करने को प्रेरित किया। इसके बाद जब कभी किसी भी ब्लड डोनेशन कैंप में मौका मिला, मैं ब्लड डोनेट करने में सबसे आगे रहा। अब तक मैं 37 बार ब्लड डोनेट कर चुका हूं। ब्लड डोनेशन से मुझे आत्म संतुष्टि मिलती है। मेरा मानना है कि इमरजेंसी के समय में हमारे रक्त की एक-एक बूंद किसी को जिंदगी देती है।- सुशील शर्मा, मुरलीपुरा
तभी से संकल्प
हमारे गांव में एक परिचित की सर्जरी होने वाली थी और उन्हें ब्लड की बेहद जरूरत थी। उस समय मैं 12वीं क्लास में पढ़ता था। बड़ी कोशिशों के बाद भी ब्लड की व्यवस्था नहीं हो पाई, मेरी उम्र कम होने से डॉक्टर्स ने ब्लड लेने से इनकार कर दिया। परिचित की जान बड़ी मुश्किल से बच पाई, आगे से मैंने ब्लड डोनेट करने का संकल्प कर लिया था। अभी तक 28 बार डोनेट कर चुका हूं। आज भी ऐसे बहुत मौके आते हैं, जब इस तरह से लोगों को तुरंत ब्लड की जरूरत होती है और मैं तैयार रहता हूं।- छोटूराम डूडी, वैशाली नगर
हमारे गांव में एक परिचित की सर्जरी होने वाली थी और उन्हें ब्लड की बेहद जरूरत थी। उस समय मैं 12वीं क्लास में पढ़ता था। बड़ी कोशिशों के बाद भी ब्लड की व्यवस्था नहीं हो पाई, मेरी उम्र कम होने से डॉक्टर्स ने ब्लड लेने से इनकार कर दिया। परिचित की जान बड़ी मुश्किल से बच पाई, आगे से मैंने ब्लड डोनेट करने का संकल्प कर लिया था। अभी तक 28 बार डोनेट कर चुका हूं। आज भी ऐसे बहुत मौके आते हैं, जब इस तरह से लोगों को तुरंत ब्लड की जरूरत होती है और मैं तैयार रहता हूं।- छोटूराम डूडी, वैशाली नगर
दिखावा नहीं ब्लड डोनेशन
मैं पिछले 10 वर्र्षों से लगातार ब्लड डोनेट करता आ रहा हूं। अब तक 20 बाद ब्लड डोनेट कर चुका हूं। पिछले साल भी 6 बार ब्लड डोनेट किया, ब्लड डोनेशन के इस काम में मेरे परिवार के सदस्य मेरा पूरा सहयोग दे रहे हैं। मेरा ब्लड डोनेट करने का सिलसिला शुरू होने के बाद कभी नहीं रुका। जब कभी जरूरतमंदों के फोन आते हैं अथवा ब्लड डोनेशन कैंप लगते हैं, तो मैं खुद ब खुद वहां पहुंच जाता हूं। ये काम दिखावे का नहीं है, मानवता के लिए बन पड़े उतना कर दिखाने का है। मैं लोगों से यही अपील करना चाहता हूं कि ब्लड देने से किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती, अगर आप स्वस्थ हैं, तो ब्लड डोनेट जरूर करें। - अनिल भाटिया, एमआई रोड
जिंदगी बचाने का जुनून
स्कूल टाइम में स्काउट के रूप में मेरा जुड़ाव सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्यक्रमों से रहा। स्कूल के बाद सिविल डिफेंस से जुड़कर ब्लड डोनेशन के लिए मोटिवेटशन प्रोग्राम्स में भी सक्रिय भागीदार बना। धीरे-धीरे ब्लड डोनेट करना मेरा रूटीन बन गया, जब कहीं ब्लड डोनेशन कैंप लगता मैं उसमें जरूर जाता, साथ ही किसी भी बड़े त्योहार या खुद के जन्मदिन पर ब्लड डोनेट करना मेरा शगल बन गया है। अब तक मैं 16 बार ब्लड डोनेट कर चुका हूं। ब्लड डोनेशन के लिए रेड क्रॉस सोसायटी की ओर से मिले सम्मान ने मेरा उत्साहवर्धन किया है।- अरविंद कुमार शर्मा, डीसीएम
प्रण लेना जरूरी
ब्लड डोनेशन से आपको जो आत्म संतुष्टि मिलेगी उसे बयां करना मुश्किल है। इससे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती। लेकिन इसके लिए आपको प्रण लेने की जरूरत है। मैंने अब तक 18 बार ब्लड डोनेट किया है और हर बार खुद को अधिक ऊर्जावान पाया। इस काम में जो सुकून मिलता है, किसी और कार्य में नहीं मिल सकता। अब मेरी फैमिली भी ब्लड डोनेट करने में सहयोग देती हैं। - विशाल शर्मा,
ज़रा भी न घबराएं
18 से 50 वर्ष उम्र का स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है।
18 से 50 वर्ष उम्र का स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है।
50 किग्रा वजन जरूरी है।हर छह माह में ब्लड रिनोवेट होता है, इसलिए रक्तदान से शारीरिक कमजोरी नहीं होती।रक्त के दो पार्ट होते हैं।
प्लाज्मा की भरपाई दो दिन में और सेल्यूलर पार्ट की भरपाई एक माह में हो जाती है।
रक्तदान करके आप दूसरे व्यक्ति को एक नया जीवन दे सकते हैं।
जरूरत पडऩे पर आपके परिजनों को भी रक्त उपलब्ध हो जाता है।
रक्तदान से शरीर में खून की कमी नहीं होती।