-जयपराइट्ïस नहीं मोबाइल वेस्ट के खतरे से अवेयर
जयपुर। पहले ब्लैक एंड व्हाइट फोन्स, फिर कलर स्क्रीन मोबाइल, फिर सिंगटोन, केमरा, एमपी थ्री, वॉइस व विडियो रिकोर्डिंग वाली सुविधा वाले मोबाइल फोन का क्रेज बढ़ा और खरीदारी भी। हरकोई अपने पुराने सेल के बदले नए फिचर्स वाला हैंडसेट खरीदना चाहता है। हर महीने हजारों नए मोबाइल खरीदे जा रहे हैं। लेकिन नए के पीछे छुट जाने वाले ओल्ड व अनयुज्ड मोबाइल फोन्स के बारे में कभी सोचा है? क्या होता है उनका? घर में ड्रावर्स में तो कहीं कबाड़ में ही उनको जगह मिलती है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इनका 90 प्रसेंट मैटरियल रिसाइकिल हो सकता है। बशत्र्ते उसे कचरे में न फैंक कर रिसाइकिल काउंटर तक पहुंचाया जाए।
लोगों जानकारी नहीं
रिसाइकिलिंग को लेकर भारत सहित 13 देशों के 6500 लोगोंं के बीच नोकिया कम्पनी के एक सर्वे में लोगों के मोबाइल फोन्सकी रिसाइकिलिंग रूझान का पता लगया गया। इस ग्लोबल सर्वे में तथ्य सामने आया कि अधिकतर लोगों के ओल्ड व अनयुज्ड मोबाइल ड्रॉवर्स में ही रहते हैं, इनमें आधे से ज्यादा लोगों को तो ये भी पता नहीं कि उनके मोबाइल भी रिसाइकिल हो सकते हैं। मोबाइल डिवाइसेज को रिसाइकिल प्रोसेस में महज 3 प्रतिशत लोग ही डालते हैं। 75 प्रतिशत लोगों ने अपने मोबाइल्स के रिसाइकिलिंग के लिए कभी सोचा नहीं तथा इनमें से आधे से ज्यादा लोगों को तो इसके बारे में पता भी नहीं था।
रिसाइकिल से फायदा
मोबाइल फोन्स प्रोडक्ट्ïस में से 90 प्रतिशत मेटरियल्स को काम में लिया व रियूज किया जा सकता है, प्लास्टिक्स, सिल्वर, गोल्ड व कॉपर जैसे मेटरियल्स से ज्वैलरी, स्टेनलैस स्टील प्रोडक्ट और प्लास्टिक पोस्ट्ïस बनाए जा सकते हैं। रिसाइकिल से मोबाइल, बैट्री व एसेसरीज के ई-वेस्ट की समस्या से बचा जा सकता है साथ पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सकता है।
तो बने बात...
मोबाइल फोन रिसाइकिलिंग के लिए राष्टï्रीय स्तरीय संस्था का गठन हो, जिसके जरिए अनयुज्ड व ओल्ड हैंडसेट, बैटरीज व एसेसरीज को कलेक्ट किया जाए। इसमें मोबाइल फोन रिटैलर्स, लॉकल कॉन्सिल्स, गवर्नमेंट एजेन्सियों को शामिल किया जाए। और देशभर में जगह-जगह अनयुज्ड व ओल्ड फोन्स ड्रोप सेंटर्स की स्थापना की जाए। ऑस्ट्रेलिया में ऐसा ही ऑफिशियल नेशनल रिसाइकिलिंग प्रोग्राम चल रहा है। इसमें आई मेट, एलजी इलैक्ट्रोनिक्स, मोटोरोला, नोकिया, एनईसी, पेनासोनिक, सेमसंग, शार्प व सोनी इरक्शन आदि कम्पनियां भी शामिल हैं।
घर में, कबाड़ में है खतरा
पुराने मोबाइल फोन्स को अधिकतर लोग बच्चों को खिलौने के रूप में दे देते हैं जो उनके लिए खतरनाक है। डॉक्टर्स के अनुसार इनसे बच्चों को स्किन प्रोब्लम्स का खतरा बना रहता है। ई-वेस्ट ग्रीनहाउस के लिए भी खतरा बना हुआ है।
हमारे मोबाइल फोन्स के रिसाइकिल के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
जयपुर। पहले ब्लैक एंड व्हाइट फोन्स, फिर कलर स्क्रीन मोबाइल, फिर सिंगटोन, केमरा, एमपी थ्री, वॉइस व विडियो रिकोर्डिंग वाली सुविधा वाले मोबाइल फोन का क्रेज बढ़ा और खरीदारी भी। हरकोई अपने पुराने सेल के बदले नए फिचर्स वाला हैंडसेट खरीदना चाहता है। हर महीने हजारों नए मोबाइल खरीदे जा रहे हैं। लेकिन नए के पीछे छुट जाने वाले ओल्ड व अनयुज्ड मोबाइल फोन्स के बारे में कभी सोचा है? क्या होता है उनका? घर में ड्रावर्स में तो कहीं कबाड़ में ही उनको जगह मिलती है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इनका 90 प्रसेंट मैटरियल रिसाइकिल हो सकता है। बशत्र्ते उसे कचरे में न फैंक कर रिसाइकिल काउंटर तक पहुंचाया जाए।
लोगों जानकारी नहीं
रिसाइकिलिंग को लेकर भारत सहित 13 देशों के 6500 लोगोंं के बीच नोकिया कम्पनी के एक सर्वे में लोगों के मोबाइल फोन्सकी रिसाइकिलिंग रूझान का पता लगया गया। इस ग्लोबल सर्वे में तथ्य सामने आया कि अधिकतर लोगों के ओल्ड व अनयुज्ड मोबाइल ड्रॉवर्स में ही रहते हैं, इनमें आधे से ज्यादा लोगों को तो ये भी पता नहीं कि उनके मोबाइल भी रिसाइकिल हो सकते हैं। मोबाइल डिवाइसेज को रिसाइकिल प्रोसेस में महज 3 प्रतिशत लोग ही डालते हैं। 75 प्रतिशत लोगों ने अपने मोबाइल्स के रिसाइकिलिंग के लिए कभी सोचा नहीं तथा इनमें से आधे से ज्यादा लोगों को तो इसके बारे में पता भी नहीं था।
रिसाइकिल से फायदा
मोबाइल फोन्स प्रोडक्ट्ïस में से 90 प्रतिशत मेटरियल्स को काम में लिया व रियूज किया जा सकता है, प्लास्टिक्स, सिल्वर, गोल्ड व कॉपर जैसे मेटरियल्स से ज्वैलरी, स्टेनलैस स्टील प्रोडक्ट और प्लास्टिक पोस्ट्ïस बनाए जा सकते हैं। रिसाइकिल से मोबाइल, बैट्री व एसेसरीज के ई-वेस्ट की समस्या से बचा जा सकता है साथ पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सकता है।
तो बने बात...
मोबाइल फोन रिसाइकिलिंग के लिए राष्टï्रीय स्तरीय संस्था का गठन हो, जिसके जरिए अनयुज्ड व ओल्ड हैंडसेट, बैटरीज व एसेसरीज को कलेक्ट किया जाए। इसमें मोबाइल फोन रिटैलर्स, लॉकल कॉन्सिल्स, गवर्नमेंट एजेन्सियों को शामिल किया जाए। और देशभर में जगह-जगह अनयुज्ड व ओल्ड फोन्स ड्रोप सेंटर्स की स्थापना की जाए। ऑस्ट्रेलिया में ऐसा ही ऑफिशियल नेशनल रिसाइकिलिंग प्रोग्राम चल रहा है। इसमें आई मेट, एलजी इलैक्ट्रोनिक्स, मोटोरोला, नोकिया, एनईसी, पेनासोनिक, सेमसंग, शार्प व सोनी इरक्शन आदि कम्पनियां भी शामिल हैं।
घर में, कबाड़ में है खतरा
पुराने मोबाइल फोन्स को अधिकतर लोग बच्चों को खिलौने के रूप में दे देते हैं जो उनके लिए खतरनाक है। डॉक्टर्स के अनुसार इनसे बच्चों को स्किन प्रोब्लम्स का खतरा बना रहता है। ई-वेस्ट ग्रीनहाउस के लिए भी खतरा बना हुआ है।
-टीटू तलवार, रेज मोबाइल।रिसाइकिल से यहां के लोगों को कोई लेना देना नहीं है। लोग नया मोबाइल खरीदने के बाद पुराना आधी कीमत में बेच देते हैं। ये बेचने का क्रम सालों चलता है और अंत में रिटेलर से होते हुए सर्विस सेंटर्स तक पहुंचते हैं। यहां उनके पार्ट काम में लिए जाते हैं।
हमारे मोबाइल फोन्स के रिसाइकिल के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
-समित, ब्रांच मैनेजर, एलजी।