जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों और उनकी समस्याओं को लेकर कितना असंवेदनशील है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण शुक्रवार रात देखने को मिला। मेस फीस की वृद्धि वापस लेने के लिए छात्राएं रातभर कुलपति निवास के बाहर कुलपति का इंतजार करती रहीं, लेकिन कुलपति ने उनसे बात करना तो दूर सुबह आने का आश्वासन तक नहीं दिया। रातभर भूखी-प्यासी छात्राएं अपनी उम्मीद के साथ कुलपति के नींद से जागने का इंतजार करती रहीं। ये रात इन छात्राओं पर कितनी भारी रही, इसकी एक बानगी-
रातभर करते रहे इंतजार
रातभर करते रहे इंतजार
मेस फीस में वृद्धि से छात्राओं के हाथ-पैर फूल गए। इस अन्याय के विरोध में और वृद्धि को वापस लेने के लिए मैं भी अन्य छात्राओं के साथ कुलपित निवास के बाहर रात भर बैठी रही। उम्मीद थी कि इतनी छात्राओं को देख कुलपति जरूर आएंगे, लेकिन रातभर हमारा इंतजार खत्म न हुआ। खाना तो दूर छात्राएं पानी के लिए भी इधर-उधर भटकती रहीं, लेकिन हमारी सुध लेने वाला कोई न था। इतना ही नहीं हॉस्टल के गेट भी आठ बजे बंद कर दिए गए।
प्रियांशी, छात्रा
सूखी लकडियों का सहारा
वैसे तो विश्वविद्यालय प्रशासन छात्र कल्याण के बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन रात भर भूखी और प्यासी छात्राओं की सुध लेने के लिए कोई भी नहीं आया। ऊपर से कुलपति के घर के आसपास बड़े-बड़े हरे पेड़ होने के कारण सर्दी लग रही थी। कुछ छात्राओं के पास तो स्वेटर और शॉल भी नहीं थे।
सर्दी को बढ़ता देख परिसर में सूखी लकडियों को ढूंढ कर लाए और इन्हें आग लगाकर ताप से पूरी रात काटी।
पुष्पा, छात्रा
बातें कीं, गाने गाए और नारे लगाए
मेस फीस वापस लेने की मांग को लेकर रात में भी छात्राएं एकजुट होकर बैठी रहीं। छात्राओं ने 8-8,10-10 की टोलियां बना लीं और अलाप जला कर बातें करती रहीं। गाने गा कर टाइम पास करती रहीं। इस बीच छात्राओं की टोलियोंं की ओर से कुलपति के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की गई, लेकिन सुनने वाला यहां कोई नहीं था।
विनीता, छात्रा
विरोध करना भी जरूरी था
मेस फीस में अचानक वृद्धि करने का विरोध करना भी जरूरी था, इस कारण मैं भी इसमें शामिल हो गई। रात को जब सर्दी के बीच हम प्रदर्शन करते रहे, लेकिन कुलपति के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। हद तो तब हो गई जब कुलपति अपने निवास से बाहर तक नहीं आए। विरोध इसलिए किया क्योंकि मामला एक दिन का नहीं था।
नेहा, छात्रा
प्रियांशी, छात्रा
सूखी लकडियों का सहारा
वैसे तो विश्वविद्यालय प्रशासन छात्र कल्याण के बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन रात भर भूखी और प्यासी छात्राओं की सुध लेने के लिए कोई भी नहीं आया। ऊपर से कुलपति के घर के आसपास बड़े-बड़े हरे पेड़ होने के कारण सर्दी लग रही थी। कुछ छात्राओं के पास तो स्वेटर और शॉल भी नहीं थे।
सर्दी को बढ़ता देख परिसर में सूखी लकडियों को ढूंढ कर लाए और इन्हें आग लगाकर ताप से पूरी रात काटी।
पुष्पा, छात्रा
बातें कीं, गाने गाए और नारे लगाए
मेस फीस वापस लेने की मांग को लेकर रात में भी छात्राएं एकजुट होकर बैठी रहीं। छात्राओं ने 8-8,10-10 की टोलियां बना लीं और अलाप जला कर बातें करती रहीं। गाने गा कर टाइम पास करती रहीं। इस बीच छात्राओं की टोलियोंं की ओर से कुलपति के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की गई, लेकिन सुनने वाला यहां कोई नहीं था।
विनीता, छात्रा
विरोध करना भी जरूरी था
मेस फीस में अचानक वृद्धि करने का विरोध करना भी जरूरी था, इस कारण मैं भी इसमें शामिल हो गई। रात को जब सर्दी के बीच हम प्रदर्शन करते रहे, लेकिन कुलपति के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। हद तो तब हो गई जब कुलपति अपने निवास से बाहर तक नहीं आए। विरोध इसलिए किया क्योंकि मामला एक दिन का नहीं था।
नेहा, छात्रा