राज्यपाल तक पहुंची राजस्थानी गीतांजलि

जयपुर। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कालजयी कृति गीतांजली का राजस्थानी अनुवाद राजस्थान की राज्यपाल माग्रेट आल्वा के पास पहुंचा। आल्वा ने कहा कि पुस्तक का काव्यात्मक राजस्थानी अनुवाद एक सराहनीय प्रयास है। उन्हें इस पुस्तक की प्रथम प्रति लेखक इकराम राजस्थानी ले भेंट की। इस मौके पर राजकुमारी दीया कुमारी गेस्ट ऑफ ऑनर थी।

राज्यपाल ने कहा कि गीतांजलि विश्वभर में जानी पहचानी जाती है। मूलत: बंगाली में रचित गीतांजलि का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उन्होंने कहा कि अनुवाद से आम जन को साहित्यक रचना का अध्ययन करने में आसानी होती है। राजस्थानी में अनुवाद से इस कृति को बहुत से लोग पढ़ पायेंगें। उन्होंने आगे कहा कि वे लगातार कला, संस्कृति और साहित्य से संबंधित किसी भी गतिविधि का सदैव समर्थन करेगी।

राजकुमारी दिया कुमारी ने भी कहा कि गुरुदेव की रचना गीतांजलि के छंद अपनी संवेदनशीलता और रचनात्मक गहराई के लिए जाने जाते है, इन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। अब इस उत्कृष्ट कृति का राजस्थानी भाषा में पद्यमय अनुवाद किया गया है। मुझे यकीन है कि अब इस रचना के संदेशों का राजस्थान में भी विस्तार हो सकेगा।

कवि इकराम राजस्थानी ने Óअंजलि गीता रीÓ से कुछ काव्य अंशों का अपने सस्वर द्वारा पाठ किया और वहा उपस्थित कला प्रेमीयों का दिल जीत लिया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से माइकल जैक्सन को अपने अंतिम दिनों में गीतांजलि पढऩे से मन की शांति मिली। उन्होंने इस पुस्तक के प्रकाशन के प्रायोजित करने के लिए श्री सीमेंट्स के श्री एच.एम. बांगड के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम में राजस्थानी के प्रख्यात लेखक पद्मश्री सी.पी. देवल ने गीतांजलि के विभिन्न तथ्यों पर  प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि किसी भी मूल रचना की कई मायनों से व्याख्या की जा सकती है। गीतांजलि का ही यदि उदाहरण लिया जाए तो इसकी कई व्याख्याओं का विविध भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है।
इससे पहले, प्रभा खेतान फाउंडेशन के मैंनेजिंग ट्रस्टी, श्री संदीप भूतोडिय़ा ने कहा कि फाउंडेशन द्वारा गीतांजलि के राजस्थानी में अनुवाद का काम कराना संतोषजनक है। उन्होंने कहा कि यह वर्ष गीतांजलि का प्रकाशन का  शताब्दी वर्ष भी है। होटल आईटीसी राजपूताना के महाप्रबंधक, श्री सुनील गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। 

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