लखनऊ घराना की ताल डूबा रंगायन

जयपुर। जवाहर कला केन्द्र के रंगायन सभागर में बुधवार की शाम वाराणसी के युवा कथक नर्तक आशीष सिंह ने खूबसूरत अंग संचालन,छोटे-छोटे तोड़े टुकड़े गत निकास, गत भाव और ठुमरी पर भावों की अभिव्यक्ति से लखनऊ घराने के कथक नृत्य की उम्दा प्रस्तुति दी। लखनऊ घराने की इस मनमोहक प्रस्तुति में पूरा रंगायन सभागार कला समुंदर में डूब गया और दर्शक आनंद की लहरों से मदहोश हो गए। 

आशीष के साथ तबले पर पं. कौशल कुमार कान्त, गायन एवं हारमोनियम पर पं. आनन्द मिश्रा, बोल-पढं़त में वसुन्धरा शर्मा और सितार पर हरिहर शरण भट्ट ने संगत कर कार्यक्रम को ओर भी प्रभावी बना दिया। 

गुरु संगीता सिन्हा और सरला नारायण गुप्ता के युवा शिष्य आशीष सिंह ने कार्यक्रम का प्रारम्भ 'शिव वंदना' से किया। इसके  बाद इन्होने तीन ताल में विलम्बित लय में थाट, उठान आमद, आमद परन, 2-3 तिहाइ की प्रस्तुति दी। इसी कड़ी में इन्होने मध्यलय में बादल, वर्षा और बिजली के भावों की सुर, लय और ताल के साथ अभिव्यक्ति दी। जिसकी दर्शको ने करतब ध्वनि कर भरपूर दाद दी। 
कार्यक्रम की अगली कड़ी के रूप में आशीष ने द्रुतलय में परन, प्रिमलू, गत के साथ ठुमरी 'सब बनठन आई श्याम प्यारी रे......' में भावों की अभिव्यक्ति ने दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम का समापन राम भजन 'श्री राम चन्द्र कृपालु भजमन.....' की प्रस्तुति से किया। गुरूजनों द्वारा बताये नृत्य में ठहराव के सबक को आशीष ने पूरी सिद्दत के साथ प्रस्तुत करने की कोशिश की।  

फ्राइडे थियेटर में शुक्रवार को 'रिहर्सल'

जवाहर कला केन्द्र के रंगायन सभागर में कल 5 अक्टूबर, 2012 को निममित कार्यक्रम फ्राइडे थियेटर के तहत अलसना रंग थियेटर सोसायटी के रंग कर्मियों द्वारा 'रिहर्सल' नाटक का मंचन किया जायेगा। इसका लेखन लक्ष्मीकान्त वैष्णव ने तथा निर्देशन युवा रंगकर्मी असलम कुरैशी ने किया है। नाटक में उजागर किया जायेगा कि कैसे एक नाटक को तैयार करने मेें कलाकार को किन-किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है और उसके सामने कौन-कौनसी समस्याये आती है। प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क 20 रूपये के टिकट से होगा। 

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