नाद-अनुनाद से दर्शक भाव विभोर


जयपुर। राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह और राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला-गांधी शिल्प बाजार ‘‘लोकरंग-2012‘‘ के तहत जवाहर कला केन्द्र के मध्यवर्ती मुक्ताकाशी मंच पर ‘‘नाद-अनुनाद’’ की थीम पर गुजरात, गोवा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के लगभग 150 कलाकारों ने आज अपनी रंगारंग प्रस्तुति से जयपुर के दर्शकों को भाव विभोर कर दिया।
भारतीय लोक कला व संस्कृति के विविध आयामों को जिवंतता से प्रदर्शित करने वाला यह राष्ट्रीय समारोह लोकरंग-2012 (30 अक्टूबर से 9 नवम्बर, 2012 तक) जवाहर कला केन्द्र में आयोजित किया गया है।
ग्यारह दिवसीय इस समारोह के दूसरे दिन मध्यवर्ती मुक्ताकाशी मंच पर सांस्कृतिक संध्या की शुरूआत गोवा के पारम्परिक व अध्यात्मिक नृत्य ‘समई‘ से हुआ। श्रीमती आरती के नेतृत्व में 12 कलाकारों ने इस नृत्य में गोवा की हस्तशिल्प के पीतल के दीपक को सिर पर रख अद्भुत सन्तुलन कौशल का परिचय दिया। यह नृत्य गोवा के दक्षिण एवं मध्य क्षेत्र में प्रचलित है। घूमर, समेल, सिम्बल, और हारमोनियम वाद्यो के साथ पारम्परिक गीत, उनके पद्न्यास और अभिनय मनोरंजक रहे। इसके बाद हिमाचल प्रदेश के 15 कलाकारों ने जोगेन्द्र के नेतृत्व में ‘लम्बड़ा-नृत्य‘ की आकर्षक प्रस्तुति दी।
लम्बड़ा लोअर हिमाचल मण्डी व कांगड़ा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की हास्य नृत्य लोक विधा है। गांव की युवतियों गांव के नम्बरदार से शिकायत कर रही है कि जब वे घास काटने, पानी भरने तथा जंगल में पशु चराने जाती है तो गांव के मनचले लड़के कभी मिट्टी मार कर तो कभी सीटी मार कर उन्हें छेड़ते है। इसी प्रकार गांव के लड़के भी गांव के नम्बरदार से शिकायत करते है कि गांव की युवतियां उन्हे ताने मारती है अब कसूर किसका है। नम्बरदार यह निर्णय नही ले पाता तथा नम्बरदार की किं-कर्तव्य विमुढ़ स्थिति बड़ी हास्यप्रद बन जाती है। कार्यक्रम की अगली कड़ी में जितेन्द्र डांगी के नेतृत्व में 21 कलाकारों ने गुजरात के कच्छ क्षेत्र में होली व दीपावली आदि त्यौहारो पर किये जाने वाले आदिवासी नृत्य ‘तलवार-नृत्य’ व हरियाणा के 15 सदस्यों के दल ने राकेश के नेतृत्व में ‘पणिहारी-नृत्य’ में युवक-युवतियों के बीच श्रंृगाार रस से भरपूर नृत्य में सवाल जवाब की आकर्षक प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम के दौरान अलवर राजस्थान के ख्यात भपंग वादक ऊमर फारूख मेवाती ने दोहा ‘‘जग में रहना है तो बन्दे चीज छोड़ दे चार, चोरी, चुगली, जामनी और पर नार...’’ के साथ भपंग वादन मे जुगलबन्दी की शानदार प्रस्तुति से दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। उनके साथ महमूद खां, नत्थी खां, असलम भारती, कलिया व असद ने संगत की। तत्पश्चात् सन्तोष परन के नेतृत्व में महाराष्ट्र के 13 सदस्यो ने ‘कोली-नृत्य’ की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम के दौरान पंजाब के 15 सदस्यीय दल के कलाकारों ने प्रसिद्ध ‘मार्शल-आर्ट‘ गतका की रोमांचक प्रस्तुति दी। जिसमे कलाकारों ने तलवार, पट्टा, लाठी, भाला व अन्य हथियारों के साथ अपने साहस, शौर्य और सर्म्पण की बानगी से दर्शको को रोमांचित कर दिया। इसके बाद गुजरात के डंाग क्षेत्र के डांगी जनजाति के प्रमुख ‘डांग-नृत्य’ की प्रस्तुति दी गई।
कार्यक्रम का समापन राजस्थान के बालोतरा-बाड़मेर के विख्यात आंगी गैर नृत्य से हुआ। मोटाराम के नेतृत्व में 15 सदस्यों के इस गैर नृत्य दल ने प्राचीन विरासत से दर्शको को रू-ब-रू करवाया। ढोल, बाकिया, थाली की स्वर लहरियो के बीच घूंघरूओं की खनक और डांडियो की टकराहट के साथ लगभग 15-18 किलो वजन की लाल आंगी व सफेद बागा पहने नर्तकों का घेर लेते हुए नृत्य ने युद्ध के से रोमांस से दर्शको को अभिभूत कर दिया।
शिल्पग्राम में लगे राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले मे राजस्थान सहित 20 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के हस्तशिल्पियों की स्टॉल में अपनी कला के उत्कृष्ट नमूनों का प्रदर्शन किया गया है, जो दर्शको को लुभाकर खरीदने के लिए प्रेरित कर रहा है। इसमें देश के विभिन्न प्रदेशों के लगभग 200 हस्तशिल्प कलाकारों ने लगभग 175 स्टॉल में अपने उत्कृष्ट नमूनों को सजाया है।

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