नागर तट निरत करत...मन मोहा

जयपुर। संगीत और नृत्य की बेजोड़ प्रस्तुतियों के बीच जयपुर की दो युवा
नृत्यांगनओं ने बुधवार शाम एक बार फिर श्रोताओं को कृष्ण भक्ति में चीर
लीन कर दिया। जयपुर घराना की इन कथक प्रस्तुतियों की शुरुआत बाबा हरिदास
महाराज रचित कृष्ण वंदना नागर नट निरत करत... के साथ हुई।

जवाहर कला केन्द्र के रंगायन सभागार में गुरुवारीय संगीत संध्या के तहत
कथक नृत्य (जयपुर घराना) की यह विशेष प्रस्तुतियां गुलाबी नगरी की युवा
कथक कलाकार संस्कृति वशिष्ठ एवं मनीषा गुलयानी ने दीं।

पं. गिरधारी महाराज की शिष्या संस्कृति वशिष्ठ ने भातखण्डे संगीत
विद्यालय,लखनऊ से कथक नृत्य में विशारद की शिक्षा ग्रहण की है। संस्कृति
ने कार्यक्रम की शुरुआत 'नागर नट निरत करत..Ó से की ओर फिर तीन ताल में
आमद, थाट, फरमाईशी, तोडे, टुकडे, माखन चोरी, चक्कर के प्रकार, लड़ी एवं
सवाल-जवाब के माध्यम से अपनी कला की प्रस्तुति दी। इनके साथ सितार-पण्डित
हरिहर शरण भट्ट, पखावज- अश्विनी बानेत, तबला-कौशल कांत पंवार, गायन व
हारमोनियम- रमेश मेवाल, पढ़ंत-नमिता जैन संगत की।

नृत्यांगना मनीषा गुलयानी ने भी गुरू पण्डित गिरधारी महाराज से कथक नृत्य
की शिक्षा ग्रहण की है। मनीषा बनारस घराने के वरिष्ठ तबला वादक पण्डित
उदय मजूमदार के मार्गदर्शन में अपनी कला को निखार रही हैं। मनीषा ने इस
कार्यक्रम में सरस्वती वन्दना, शुद्ध कथक, ठुमरी आदि की प्रस्तुति से
श्रोताओं को मंत्रमुग्द कर दिया। उनके साथ तबले पर उदय मजूमदार, गायन में
पियु नंदी और बांसुरी पर भास्कर दास ने संगत की।

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