जयपुर. लदख मुद्दे पर भारत और चीन में युद्ध की कोई सम्भावना नहीं है। यह
कहना था विदेश नीति मामलों की प्रोफेशनल और अनुभवी मीडियाकर्मी, श्रीमती
इंद्राणी बागची का। वह शनिवार को फिक्की लेडीज ऑर्गेनाइजेशन (फिक्की
फ्लो) के जयपुर चेप्टर और टाई राजस्थान (द इंडस एन्टेप्यूनर्स) द्वारा
भारत और चीन सम्बंधों पर संयुक्त रूप से आयोजित एक परिचर्चा के अवसर पर
बोल रही थी। इस अवसर पर फिक्की फ्लो के जयपुर चेप्टर की नवनिर्वाचित
चेयरपर्सन,बेला बधालिया और टाई राजस्थान के प्रेसीडेंट मनुज गोयल भी
उपस्थित थे।
बागची ने विस्तार से बताया कि चीन एवं भारत दोनों ही परिपक्व देश है और
यह समय दोनो देशों के लिये युद्ध के लिये अनुकूल नहीं है। उन्होंने यह भी
बताया कि चीन के मुकाबले भारत की सैन्य ताकत एवं तैयारी पर्याप्त नहीं
है। भारत का राजनीतिक नेतृत्व में 1962 के युद्ध में चीन से हारने के
परिणामस्वरूप अभी तक आत्मविश्वास की कमी में है जबकि भारतीय सेना की सोच
इससे विपरीत है। चीन द्वारा भारतीय बार्डर पर किये जा रहे घुसपैठ पर
प्रकाश डालते हुये बागची ने बताया कि दोनों देशों के बीच एक स्पष्ट
सीमारेखा नहीं होने के साथ ही चीन के वर्तमान नेताओं द्वारा भारतीय
राजनीति का परीक्षण इस घुसपैठ के पीछे का मकसद हो सकता है।
बागची ने आगे बताया कि जब चीन 15 अप्रैल को भारत में घुसपैठ कर रहा था
उसी समय भारतीय फौज को उन्हें घेर लेना चाहिए था और उनकी सप्लाई लाईन्स
काट देनी चाहिए थी। इस कार्य के लिये भारतीय सेना सक्षम थी और उनमें
आत्मविश्वास भी था लेकिन भारतीय राजनीतिक नेतृत्व द्वारा निर्णय लेने में
देरी के चलते अब तक चीन ने चौकी पर अपनी स्थिती मजबुत कर ली है।
भारत और चीन के व्यापारिक स्थितीयों को स्पष्ट करते हुये बागची ने बताया
कि भारत के मुकाबले चीन की जीडीपी ग्रोथ तीन गुना अधिक है तथा साथ ही एक
सिंगल पार्टी लीडरशीप होने के कारण उनके निर्णय भारत के मुकाबले तीव्र
गति से होते है। इसी प्रकार भारत के मुकाबले चीन में मजदूर लागत कम होने
के कारण उनके उत्पादन की कीमत भारत के उत्पादों से काफी कम है, लेकिन
भारत की क्वालिटी चीन के मुकाबले बेहतर है। इसी प्रकार से चीन के
आधारभूत संरचना भारत के तुलना में काफी आगे है।
कार्यक्रम के शुरूआत में श्रीमती बेला बधालिया और मनुज गोयल ने श्रीमती
इंद्राणी बागची का स्वागत किया।
कहना था विदेश नीति मामलों की प्रोफेशनल और अनुभवी मीडियाकर्मी, श्रीमती
इंद्राणी बागची का। वह शनिवार को फिक्की लेडीज ऑर्गेनाइजेशन (फिक्की
फ्लो) के जयपुर चेप्टर और टाई राजस्थान (द इंडस एन्टेप्यूनर्स) द्वारा
भारत और चीन सम्बंधों पर संयुक्त रूप से आयोजित एक परिचर्चा के अवसर पर
बोल रही थी। इस अवसर पर फिक्की फ्लो के जयपुर चेप्टर की नवनिर्वाचित
चेयरपर्सन,बेला बधालिया और टाई राजस्थान के प्रेसीडेंट मनुज गोयल भी
उपस्थित थे।
बागची ने विस्तार से बताया कि चीन एवं भारत दोनों ही परिपक्व देश है और
यह समय दोनो देशों के लिये युद्ध के लिये अनुकूल नहीं है। उन्होंने यह भी
बताया कि चीन के मुकाबले भारत की सैन्य ताकत एवं तैयारी पर्याप्त नहीं
है। भारत का राजनीतिक नेतृत्व में 1962 के युद्ध में चीन से हारने के
परिणामस्वरूप अभी तक आत्मविश्वास की कमी में है जबकि भारतीय सेना की सोच
इससे विपरीत है। चीन द्वारा भारतीय बार्डर पर किये जा रहे घुसपैठ पर
प्रकाश डालते हुये बागची ने बताया कि दोनों देशों के बीच एक स्पष्ट
सीमारेखा नहीं होने के साथ ही चीन के वर्तमान नेताओं द्वारा भारतीय
राजनीति का परीक्षण इस घुसपैठ के पीछे का मकसद हो सकता है।
बागची ने आगे बताया कि जब चीन 15 अप्रैल को भारत में घुसपैठ कर रहा था
उसी समय भारतीय फौज को उन्हें घेर लेना चाहिए था और उनकी सप्लाई लाईन्स
काट देनी चाहिए थी। इस कार्य के लिये भारतीय सेना सक्षम थी और उनमें
आत्मविश्वास भी था लेकिन भारतीय राजनीतिक नेतृत्व द्वारा निर्णय लेने में
देरी के चलते अब तक चीन ने चौकी पर अपनी स्थिती मजबुत कर ली है।
भारत और चीन के व्यापारिक स्थितीयों को स्पष्ट करते हुये बागची ने बताया
कि भारत के मुकाबले चीन की जीडीपी ग्रोथ तीन गुना अधिक है तथा साथ ही एक
सिंगल पार्टी लीडरशीप होने के कारण उनके निर्णय भारत के मुकाबले तीव्र
गति से होते है। इसी प्रकार भारत के मुकाबले चीन में मजदूर लागत कम होने
के कारण उनके उत्पादन की कीमत भारत के उत्पादों से काफी कम है, लेकिन
भारत की क्वालिटी चीन के मुकाबले बेहतर है। इसी प्रकार से चीन के
आधारभूत संरचना भारत के तुलना में काफी आगे है।
कार्यक्रम के शुरूआत में श्रीमती बेला बधालिया और मनुज गोयल ने श्रीमती
इंद्राणी बागची का स्वागत किया।