नाट्य कला से सर्वांगीण विकास

जयपुर । प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी जवाहर कला केन्द्र में 13 मई 2013 से एक माह के लिए विभिन्न कलाओं के प्रशिक्षण शिविर का आयोजन चल रहा है। इसके समापन से पूर्व 15,16 और 17 जून को बाल व किशोर कलाकार शिविर के दौरान सीखे गये अपने हूनर का पदर्शन करेंगे। शिविर में सर्वाधिक 290 प्रशिक्षणार्थी नाट्य कला विभाग में है। नाट्य कला विभाग के कार्यक्रम अधिकारी संदीप मदान ने बताया की प्रतिवर्ष नाट्य कला के प्रशिक्षणार्थियों की संख्या निरन्तर बढ रही है। पिछले वर्ष 230 प्रशिक्षणार्थी थे, इस से पूर्व 210 और इस वर्ष 290 प्रशिक्षणार्थी है।
श्री मदान की मान्यता है कि नाट्क मानव की स्वाभाविक प्रवृति है। जन्म से  लेकर अंत तक वह किसी न किसी पात्र का जीवन जीता है। जीवन में विभिन्न परिस्थ्तिियों में एक ही व्यक्ति को विभिन्न प्रकार का व्यवहार व अभिनय करना पड़ता है। पात्रानुकूल अभिनय को ही व्यवहार कुशलता भी कहा जा सकता है। नाट्य कला के प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को थियेटर के सभी तत्वों का अभ्यास कराया जाता है। इनमें मन की एकाग्रता, आपसी समन्वय, कल्पना करना, संचार, संवाद, भाषण देना, बाॅडी लेंग्वेज और अपनी भावनाओं का संप्रेषण आदि मुख्य है। इनके अभ्यास से बालक बालिकाओं का सर्वांगीण विकास होता है।
श्री मदान ने बताया कि नाट्यकला के प्रशिक्षणार्थियों के आठ समूह बनाये गये है जिनको 13 प्रशिक्षक इस कला के विभिन्न पहलुओं का अभ्यास करवा रहे है। प्रशिक्षणार्थी स्वयं किसी नाट्क की कल्पना करते है, स्क्रिप्ट लिखते है, अभिनय के लिए पात्र चुनते है। इसका प्रदर्शन करते है, आलोचना व विचार- विमर्श कर इसमें सुधार करते है तथा प्रशिक्षको केे परामर्श से नाटक को अंतिम (फाइनल) स्वरूप देकर मंच पर प्रस्तुत करते है।
वर्तमान समय में नाट्य कला के क्षेत्र में रोजगार की भी विपुल संभावनाये है। नाट्क करते-करते ही कलाकार फिल्मों में बडें हीरो-हिरोइन बनजाते है। टेलीविजन के विभिन्न सीरयलों के कारण भी कलाकारों की मांग बढ रही है। यदि नाट्य कला को अपने रोजगार का साधन नहीं भी बनाया जावे तो भी इस कला में प्रवीण व्यक्ति को जीवन में सफलता की सीढियां चढने से रोकना संभव नहीं है। जवाहर कला केन्द्र में नाट्य कला प्रशिक्षण शिविर के प्रशिक्षक है- राहुल त्रिवेदी, रूचि भार्गव, बबिता मदान, राजू कुमार, विशाल रथ, पद्मजा, सुरूचि शर्मा, अभिषेक मुदगल, प्रीति दुबे, आयुषी दीक्षित, यशेष पटेल, सक्षम और अंकुश।

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