ब्रैडमैन जैसी विदाई नहीं चाहेंगे सचिन

मुम्बई। क्रिकेट इतिहास के महानतम बल्लेबाज आस्ट्रेलिया के सर डॉन व्रैडमैन की तुलना में यदि कोई बल्लेबाज ठहरता है तो वह हैं भारत के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर। लेकिन सचिन अपने करियर के आखिरी टेस्ट में ब्रैडमैन के रिकार्ड की बराबरी कभी नहीं करना चाहेंगे।

सचिन मुम्बई में 14 नवम्बर से वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट में उतरने के साथ ही 200 मैच खेलने की अद्भुत उपलब्धि अपने नाम कर लेंगे। पूरी दुनिया को इंतजार है कि शतकों का महाशतक जड़ने वाले सचिन अपने आखिरी टेस्ट में 24 वर्षो के करियर का समापन शतक के साथ करें।

सदी के महानतम बल्लेबाज ब्रैडमैन अगस्त 1948 में जब ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट खेलने उतरे थे तो उन्हें 100 का औसत हासिल करने के लिए सिर्फ चार रन की जरूरत थी, लेकिन क्रिकेट के मैदान में दुनिया का आठवां अजूबा हुआ और ब्रैडमैन शून्य पर आउट होकर पैवेलियन लौट गए। सचिन के करोड़ों प्रशंसक इस बार यह दुआ करेंगे कि मास्टर ब्लास्टर इस मामले में ब्रैडमैन की बराबरी न करें। गौरतलब है कि सचिन अपने 199वें टेस्ट में मात्र में 10 रन ही बना पाए थे।

डॉन भी थे प्रशंसक
ब्रैडमैन ने वर्ष 2001 में निधन से पहले अपने आखिरी साक्षात्कार में कहा था कि एक सचिन ही हैं जो उनकी बल्लेबाजी शैली के नजदीक हैं। ब्रैडमैन ने कहा था, अकेले सचिन ही हैं जो मौजूदा समय में ऎसे खिलाड़ी हैं जो मेरे बल्लेबाजी स्टाइल के करीब दिखते हैं। उनके स्ट्रोक्स और तकनीक ही है जो एक साथ बखूबी काम करती है और वह वैसे ही खेलते हैं जैसे मैं खेलता था।

"तसल्ली से मां के हाथ का बना खाना खा सकेंगे"
सचिन जब पापा की मौत के बाद घर आए तो बहुत दुखी थे। वह वापस नहीं जाना चाहते थे, लेकिन वह जानते थे कि अगर पापा पांच मिनट के लिए फिर से जिंदा हो जाते तो वह भी वही कहते, जो हमने कहा कि वापस जाओ और देश के लिए खेलो। पापा का उसके करियर पर सबसे ज्यादा असर रहा।

एक बात तो तय है कि 18 नवम्बर 2013 के बाद सचिन इंडिया कैप दोबारा नहीं पहनेंगे। ये उनकी जिन्दगी में एक बहुत बड़ा बदलाव होगा क्योंकि पिछले 24 सालों में उन्होंने हमेशा इंडिया कैप पहनी। सचिन ने इन 24 सालों में जब भी मैदान में कदम रखा लोगों ने हमेशा शतक का उम्मीद की। अब ये दबाव उन पर नहीं होगा।

पूरा तेंदुलकर परिवार सचिन का आखिरी टेस्ट देखने को स्टेडियम में मौजूद होगा। इस बात से सभी बेहद खुश हैं। मां सचिन को पहली बार लाइव खेलते हुए देखेंगी। ये पूरे परिवार के लिए एक भावुक पल होगा। इस लम्हे में वो जोश भरा होगा।

सचिन हर चीज बहुत तेजी से सीखते हैं। लेकिन सचिन की कुछ बातों से हम सहम भी जाते थे। जैसे राजसिंह डूंगरपुर सर ने एक बार पिताजी को बताया कि सचिन हमेशा पांचवें गियर पर गाड़ी चलाते हैं। सचिन की रफ्तार को देख कर मैं अपनी मां से कहा करता था कि वो पूजा करें और मेरी बहन हमेशा सचिन के लिए उपवास रखा करती थीं ताकि वह मुसीबतों से बचे रहें।

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