सचिन के "विदाई टेस्ट" में भावनाओं का ज्वार

मुंबई। मरीन ड्राइव का समुद्री किनारा। सामने खड़ा वानखेडे स्टेडियम। क्रिकेट शब्द के पर्याय बन चुके सचिन तेंदुलकर जब बुधवार सुबह 10 बजे अंतिम बार भारतीय क्रिकेट टीम के साथ आधिकारिक अभ्यास के लिए उतरे तो अपने साथ भावनाओं का ऎसा ज्वार लेकर आए कि हर कोई बस उसमें समां जाने के लिए बेताब दिखा।

शायद सचिन भी इस बात को समझते हैं, तभी तो उन्होंने आज इस मैदान में प्रवेश करने के साथ ही सबसे पहले यहां के ग्राउंडस्टाफ के साथ ग्रुप फोटो खिंचवाई और उनकी ओर से भेंट किए गए फूलों के गुलदस्ते को अपनी चिर-परिचित मुस्कान के साथ स्वीकार किया। नेट पर पहुंचे तो उसी लगन से बल्ले चलाए, जिसकी पूरी दुनिया आदी हो चुकी है। नेट छोड़कर जाने लगे तो उन्हें अब तक अभ्यास करा रहे लड़कों ने घेर लिया। सचिन ने उन्हें भी निराश नहीं किया और उन सबकी मुराद भी पूरी की।

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अब बारी आई खेल पत्रकारों और प्रेस फोटोग्राफरों की तो फिर सचिन भगवान की भांति अपने भक्तों के लिए प्रकट हो गए। इस दौरान पहले टेस्ट से लेकर अब तक सफर में सहयोगी रहे खबरनवीसों की चर्चा की। एक ग्रुप के फोटो सेशन के बाद जब दूसरे में भगदड़ मचने लगी तो उन्होंने कहा कि आप लोग बैठ जाओ मैं कहीं नहीं जा रहा हूं। भगवान ने अपना वादा पूरा किया और सभी को अपना प्यार देकर ही लंच के लिए निकले।

अब बारी आई भारतीय कप्तान धोनी की, जो इंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच की पूर्व संध्या पर प्रेस कान्फ्रेंस के लिए आए। ऎसे में उन पर सचिन से संबंधित सवालों की ऎसी बौछार हुई कि माही जवाब देते-देते थक गए, लेकिन सवाल ऎसे कि जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे थे। एक मायने में यह सही भी था, क्योंकि ढाई दशक में बिना सचिन टीम की कल्पना भी नहीं की गई। ड्रेसिंग रूप में सचिन की गैर मौजूदगी क्या गुल खिलाएगी यह तो भविष्य के गर्त में है, पर उनका जाना एक इतिहास के गुजर जाने के समान नजर आ रहा है।

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