अमरीकी में सचिन का संन्यास और गांधी की मौत

न्यूयॉर्क। अमेरिका के प्रमुख समाचार पत्रों ने भारत के स्टार क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की उनके बेजोड़ कौशल और सत्यनिष्ठा के साथ विनम्रता की जमकर तारीफ की है।

"वॉल स्ट्रीट जर्नल" ने "क्रिकेट के लिटिल मास्टर की विदाई" शीर्षक से आलेख में लिखा है। इस सप्ताह एक अरब से भी अधिक लोगों के लिए, जिस क्रिकेट की दुनिया को वे जानते हैं, वह समाप्त हो जाएगी। भारत और वेस्टइंडीज के बीच दूसरा टेस्ट मैच सचिन रमेश तेंदुलकर का आखिरी टेस्ट मैच होगा।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने तेंदुलकर के संन्यास को महात्मा गांधी की मौत से जोड़ा है। अखबार ने लिखा है, जब उनकी विदाई का समय करीब आया है, तो देश पूरी तरह से भाव वि±वल है। विशाल उत्सव जैसा माहौल है, लेकिन इसमें दुख भी छिपा है।

"टाइम" पत्रिका ने विशेष ऑनलाइन फीचर तैयार किया है। इसमें तेंदुलकर से जुड़े 10 महत्वपूर्ण क्षणों को बताया गया है। इसमें उनके साथी क्रिकेटर विनोद कांबली के साथ 1988 में 664 रन की अटूट साझेदारी, 1996 में 23 साल की उम्र में कप्तान बनना, 2008 में ब्रयान लारा को पीछे छोड़ सर्वाधिक टेस्ट रन बनाने वाला बल्लेबाज बनना और विश्वकप 2011 की जीत भी शामिल हैं।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, तेंदुलकर को समकालीन भारतीयों में सर्वाधिक श्रद्धेय कहना या फिर कुछ अतिशयोक्ति के साथ महात्मा गांधी के बाद सबसे श्रद्धेय भारतीय कहना पूरी तरह से सही होगा।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है तेंदुलकर ने अपनी प्रसिद्धी सिर्फ एक बेहतरीन बल्लेबाज होने के तौर पर नहीं बनाया। बल्कि अपनी विनम्रता, अनुशासन और सौहार्द के दम पर ख्याति अर्जित की।

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने सचिन को पिछले दो दशक का सबसे बड़ा पहचाना जाने वाला क्रिकेटीय चेहरा बताया है। जर्नल ने लिखा है सचिन बड़े सितारे हैं और सबसे बेहतरीन बल्लेबाज भी। संन्यास के बाद क्रिकेट से एक स्थिरता खत्म हो जाएगी।

इस खेल में तकनीकी रूप से संपूर्ण बल्लेबाजी का एक स्त्रोत खत्म हो जाएगा। लेकिन हमारे दिलों से यह कभी नहीं जा पाएगा। सचिन की तारीफ करते हुए जर्नल ने लिखा है कि सचिन के कद का क्रिकेटर मिल पाना शायद संभव ना हो।

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