दिल्ली में "सत्ता का खेल", पलट गए भूषण


नई दिल्ली। दिल्ली में त्रिशंकु विधानसभा की मौजूदा परिस्थितियां और भी उलझती जा रही हैं। भाजपा को समर्थन देने पर सियासत गरमाती देख अब प्रशांत भूषण ने भी सुर बदल लिए हैं। एक टीवी चैनल पर बीजेपी को समर्थन देने की बात कहने वाले आप नेता प्रशांत भूषण अब अपने ही बयान से पलट गए हैं। प्रशांत ने कहा है कि आप और बीजेपी दोनों की विचारधारा अलग-अलग है और ऎसे में उनके साथ सरकार बनाना संभव नहीं है। वे न किसी को समर्थन देंगे और न ही लेंगे।

उल्लेखनीय है कि एक न्यूज चैनल पर प्रशांत भूषण ने बीजेपी को सशत्तü समर्थन देने की बात कही थी। लेकिन जैसी ही उनका बयान सुर्खियों में आया आप ने भूषण के बयान से किनार कर लिया। इसके बाद खुद भूषण भी मीडिया के सामने आए और बयान पर सफाई दी।

बता दें कि दिल्ली में सरकार बनाने के लिए अभी तक न तो बीजेपी और न ही आप ने रूचि दिखाई है। ऎसे में भाजपा और आप के बीच सांठ-गांठ के कयास लगाए जा रहे हैं। 

सफाई में क्या कहा प्रशांत भूषण ने

भूषण ने अपने पूर्व बयान पर कहा कि `मैंने एक काल्पनिक स्थिति पर बयान दिया था। मेरा कहना था कि बीजेपी यदि आम आदमी पार्टी की तरह बन जाए और हमारे सुझाए वैकल्पिक राजनीति और व्यवस्था परिवर्तन की राह पर चले, तो हम उसे समर्थन दे सकते हैं।" भूषण ने कहा कि "हमारी पार्टी का रूख तो पहले से ही साफ है। हम दोनों ही पार्टियों से न समर्थन लेंगे और न ही देंगे.`

पहले यह कहा था 

प्रशांत भूषण ने एक चैनल पर कहा था कि दिल्ली में सरकार बन सके इसके लिए आप भाजपा को मुद्दों पर आधारित समर्थन दे सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाजपा हमें लिखित में दे कि वो 29 दिसंबर तक जनलोकपाल बिल पास कर देंगे और साथ ही दिल्ली में जनसभा का गठन हो तो हम समर्थन दे सकते हैं।

भाजपा ने भी किया किनारा

आप के बाद भाजपा ने भी प्रशांत भूषण के सशत्तü समर्थन वाले बयान से किनार कर लिया है। सूत्रों के अनुसार इन शत्तोü पर यदि आप भाजपा को समर्थन देती भी है तो पार्टी इसे नहीं लेगी। 

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