अब नहीं रहेगी मंत्रियों की "आन-बान-शान"


नई दिल्ली। कार पर लाल बत्ती लगाकर भीड़ में भी खास नजर आने का "स्टेटस" जल्द ही नेताओं और आला अधिकारियों से छिन सकता है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गाडियों पर लाल व नीली बत्ती के लिए मंगलवार को नए दिशा निर्देश जारी किए।

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ही अपनी गाड़ी पर लाल बत्ती लगाने का अधिकार होना चाहिए। वहीं नीली बत्ती सिर्फ आपात सेवाओं के लिए ही इस्तेमाल होना चाहिए।

सिर्फ इनकी गाडियों पर जलेगी "लाल बत्ती"

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार लाल बत्ती सिर्फ उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की गाडियों पर ही लगी होनी चाहिए। जानकारी के अनुसार ऎसे उच्च संवैधानिक पदों की संख्या राज्यों में गिनती की है। मसलन, राज्यपाल, मुख्यमंत्री,विधानसभा का स्पीकर और राज्य का मुख्य न्यायाधीश। ऎसे में मंत्री,पुलिस अधिकारी सहित उन तमाम लोगों के लिए "स्टेटस सिम्बल" बनी यह बत्ती जल्द ही हट सकती है।

नीली बत्ती सिर्फ आपात सेवाओं के लिए

सुप्रीम कोर्ट ने आपास सेवाओं के लिए ही नीली बत्ती के इस्तेमाल की बात कही है। इस श्रेणी में एम्बुलेंस, पुलिस सेवा की गाडियां, फायरब्रिगेड की गाडियां आदि शामिल हो सकती हैं। उल्लेखनीय है कि फिलहाल कई सरकारी अधिकारी नीली बत्ती का इस्तेमाल अपनी गाडियों पर कर रहे हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के जज को भी जरूरत नहीं

कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि लाल बत्ती का इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए भी जरूरी नहीं है। खुद सुप्रीम कोर्ट के जज अपनी कार से लाल बत्ती हटा कर इसकी नजीर पेश कर चुके हैं। ऎसे में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की कारों से भी जल्द ही लाल बत्ती हट सकती है।

3 महीने में अधिसूचना होगी जारी

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकारों को निर्देश जारी कर कहा है कि इस दिशा में सरकारें 3 महीने के भीतर अधीसूचना जारी करें। इस अधीसूचना में यह तय हो जाएगा कि किन-किन अधिकारियों की गाडियों पर लाल बत्ती लगाई जा सकती है।

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