जयपुर. रंग-बिरंगी संस्कृति, हैंडीक्राफ्ट, टेक्सटाइल, हैरिटेज के लिए पहचाने जानी वाली पिंकसिटी अब जॉब उपलब्ध कराने के मामले में भी पीछे नहीं है। एसोचेम प्लेसमेंट पैटर्न (एपीपी) की ओर से हाल ही में हुई एक स्टडी 'ट्रेंड ऑफ जॉब ओपनिंग्स' के अनुसार मेट्रोपॉलिटन सिटीज के बाद अब जॉब की संभावनाएं टायर-2 और टायर-3 शहरों में तेजी से बढ़ रही हैं। इस वर्ष की शुरुआत में जहां टायर-2 शहरों में जॉब की संभावनाओं में 28 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, वहीं टायर-3 शहरों में यह बढ़ोतरी 38 प्रतिशत तक दर्ज की गई है। 'जॉब जेनेरेटिंग सिटीजÓ के तौर पर उभर रहे टायर-2 सिटीज में जयपुर भी टॉप-10 शहरों में शामिल है। पुणे, लखनऊ, पांडिचेरी, सूरत, चंडीगढ़ और अहमदाबाद के बाद नौकरी के बढ़ते अवसर के मामले में जयपुर सातवें स्थान पर है। टायर-2 शहरों में उपलब्ध कुल नौकरियों में जयपुर का शेयर 9.3 प्रतिशत है।
स्किल्ड मैनपॉवर और गुड इंफ्रास्ट्रक्चर
स्टडी के अनुसार छोटे शहरों में जॉब के बढ़ते अवसरों का मुख्य कारण यहां उपलब्ध सस्ता व स्किल्ड मैनपॉवर और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर है। यही वजह है कि मैनपॉवर व इंफ्रास्ट्रक्चर की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियां अब मेट्रो सिटीज से छोटे शहरों की ओर रुख कर रही हैं। पिछले एक-दो वर्षों में कई बड़े ग्रुप्स ने शहर की ओर रुख भी किया है। इसमें रिटेल सेक्टर्स से लेकर इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी, बीपीओ, इंश्योरेंस, बैंकिंग, रियल एस्टेट आदि कई क्षेत्रों में देश की जानी-मानी कंपनियों ने इस ओर रुख किया है या अपना विस्तार किया है।
स्टडी जो है
यह स्टडी इस वर्ष जनवरी से मार्च तक विभिन्न जॉब पोर्टल्स और राष्टï्रीय व क्षेत्रीय दैनिक अखबारों और जर्नल्स में प्रकाशित विज्ञापनों के आधार पर की गई है। इसमें 3500 कंपनियों की ओर से निकाली गईं 32 हजार वैकेंसीज पर स्टडी की गई है। टॉप-10 टायर-2 सिटीज में पुणे, लखनऊ, पांडिचेरी, सूरत, चंडीगढ़, अहमदाबाद, जयपुर, लुधियाना, पटना और गोवा शामिल हैं। जबकि टॉप-10 टायर-3 शहरों में रांची, मैंगलोर, मैसोर, रायपुर, उदयपुर, औरंगाबाद, पटियाला, जालंधर, मेरठ और विशाखापट्टïनम शामिल है।
बढ़ रही हैं संभावनाएं
जिस तरह छोटे शहरों का विकास हो रहा है उसे देखते हुए जॉब की संभावनाएं बढऩा स्वभाविक है। इसके अलावा भविष्य में आने वाले कई प्रोजेक्ट्स को देखते हुए भी कई कंपनियां इन शहरों की ओर रुख कर रही हैं। जयपुर में बनने वाला इंटरनेशनल एयरपोर्ट, स्पेशल इकोनॉमी जोन, रिटेल सेक्टर के बढ़ते दखल आदि से ये संभावनाएं और बढ़ रही हैं। - बी.के तिवारी, डायरेक्टर, एयरकॉन एयरवेज
मेट्रो सिटीज से बेहतर
मेट्रोपॉलिटन सिटीज की तुलना में छोटे शहरों में अभी भी काफी अच्छी स्थिति है। मेट्रोसिटी में अब सेचुरेशन प्वॉइंट आ चुका है। रियल एस्टेट की बढ़ती कीमतें, बढ़ता ट्रेफिक, बिगड़ती कानून व्यवस्था और महंगे होते मैनपॉवर से आज कई बड़ी कंपनियां छोटे शहरों में अपना विस्तार कर रही हैं। ऐसे में इन शहरों में जॉब की संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।
- डॉ. अजय डाटा, सीईओ, डाटा इंफोसिस
मैनपॉवर है सस्ता
जिस तरह से यहां देश भर के प्रमुख स्कूलों की शाखाएं खुल रही हैं, प्राइवेट यूनिवर्सिटीज और टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स खुल रहे हैं, उन्हें देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह शहर एजुकेशन हब की तरह भी उभर रहा है। यही वजह है यहां एकेडमिक्स फील्ड में संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसके अलावा हॉस्पिटेलिटी के क्षेत्र में भी यहां नौकरी के पूरे अवसर हैं।
- डॉ. सुधांशु, डायरेक्टर, ज्ञान विहार
टायर टु सिटीज में जॉब शेयर | ||
शहर | शेयर ऑफ जॉब (% में) | टॉप-5 एम्प्लॉयमेंट के क्षेत्र |
पुणे | 16.5 | आईटी, आईटीईएस, बैंकिंग, एजुकेशन, ऑटोमोबाइल |
लखनऊ | 12.3 | एजुकेशन, बैंकिंग, एफएमसीजी, इंश्योरेंस, आईटीईएस |
पांडिचेरी | 10.5 | एविएशन, बैंकिंग, एनर्जी, एफएमसीजी, हॉस्पिटेलिटी |
सूरत | 10 | आर्किटेक्चर, बैंकिंग, इंजीनियरिंग, टेलीकॉम, टेक्सटाइल |
चंडीगढ़ | 9.8 | एविएशन, ऑटोमोबाइल्स, कंस्ट्रक्शन, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल |
अहमदाबाद | 9.5 | इंजीनियरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक, कैमिकल्स, रिटेल |
जयपुर | 9.3 | एकेडमिक्स, एविएशन, एनर्जी, हॉस्पिटेलिटी, इंश्योरेंस |
लुधियाना | 8 | इंश्योरेंस, मैन्यूफेक्चरिंग, रिटेल, टेक्सटाइल्स, मेटल्स |
पटना | 7.3 | टेलीकॉम, आईटीईएस, मैनेजमेंट, मेडिकल, इंश्यारेंस |
गोवा | 6.8 | इंश्योरेंस, एजुकेशन, हॉस्पिटेलिटी, बैंकिंग, एफएमसीजी |