बदले एजुकेशन सिस्टम

राजस्थान विश्वविद्यालय के सीनेटर, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सदस्य के साथ विभिन्न महत्वपूर्ण पदों रहते हुए अपनी सेवाएं देने वाले शिक्षाविद्ï अमर चन्द्र जैन किसी परिचय के मौहताज नहीं हैं। शिक्षा क्षेत्र में विगत 55 साल से अपनी सेवाएं देने वाले जैन आज भी अपने लेखन व विचारों से शिक्षा जगत में अपना योगदान दे रहे हैं। इनके विचारों में वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में आमुलचुल परिवर्तन की जरूरत है। हाल ही में उनके इन विचारों के साथ मैं मुखातिब हुआ। पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश-

मेरी प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा अलवर जिले की लक्ष्मणगढ़ तहसील में हुई। ग्रेजुएशन के बाद मैं हायर एजुकेशन के लिए मुझे जयपुर आना पड़ा। यहां महाराजा कॉलेज से एम.कॉम. के बाद एल.एल.बी. की डिग्री ली। पढऩे-लिखने में मेरी रुचि शुरु से रही यही कारण रहा कि आगे चलकर मैंने अपने कॅरियर के रूप में शिक्षा क्षेत्र का चुना।

मिला जॉब सेटिसफिकेशन
मैंने ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। अब मेरे सामने कॅरियर के कई रास्ते थे। इसी बीच मैंने एल.एल.बी. की पढ़ाई की। लेकिन अब भी मेरा वकालत करने का मानस नहीं बना। बात अपने सिद्धान्तों व अभिरुचि की थी। अन्तत: मैंने बी.एड. करने का फैसला किया। शिक्षण क्षेत्र में अपने कॅरियर की शुरुआत करने के बाद मुझे जॉब सेटिसफिकेशन मिला। अध्यापन का काम शुरू से ही आदर्श रहा है। लेकिन वर्तमान में यह बाजारीकरण का शिकार होता जा रहा है। कॉचिंग व ट्ïयूशन के नाम पर होने वाला कारोबार फलफूल रहा है। ऐसे में सरकारी व्यवस्था आज भी ठीक साबित हो रही है, क्योंकि यहां पर शिक्षकों की नियुक्ति का आधार योग्यता है। वेतनमान बढऩे से अब प्रतिभावान व महत्वाकांक्षी युवा वर्ग भी इस ओर आकर्षित हुआ है।

लेकिन सबसे अहम बात शिक्षा से व्यक्तित्व निर्माण
शिक्षा का मूल उद्देश्य व्यक्तित्व निर्माण करना है। आधुनिक शिक्षा पद्दति में अब इन सिद्धानों को दरकिनार कर दिया है। नैतिक शिक्षा व शाररीरिक शिक्षा के पिरियड अब स्कूलों से गायब होते जा रहे हैं। वर्तमान में शिक्षा को रोजगार का साधन समझा जा रहा है। डिप्लोमा डिग्री कोर्स अब एकमात्र अच्छी नौकरी का माध्यम बनकर रह गए हैं। ऐसे में यदि जल्द ही चेता नहीं गया तो इसका खमियाजा पूरे समाज को भुगतना पड़ेगा।
नम्बर का खेल हो खत्म
मेरा मानना है कि एग्जाम के नाम पर बच्चों में भय का वातावरण बिल्कुल खत्म हो जाना चाहिए। इसके लिए अपने एजुकेशन सिस्टम में बदलाव के साथ पेरेंट्ïस की मानसिकता में भी परिवर्तन जरूरी है। मैंने कई बार देखा है कि बच्चे 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल करने के बाद भी संतुष्टï नहीं दिखते। नम्बरों का यह खेल उन्हें कुण्डा का शिकार बना देता है। इसके लिए ग्रेड सिस्टम कारगर साबित हो सकता है। जल्द ही सीबीएसई भी उच्च कक्षाओं में इसी तरह का ग्रेडिंग सिस्टम लागू करने वाला है।
जेनरेशन गेप बड़ी समस्या
कभी संयुक्त परिवार ही होते थे। एकल परिवार पर अगुंली उठाने वालों की कमी नहीं थी, लेकिन अब बात बिल्कुल विपरीत हो गई है। जेनरेशन गेप की समस्या ने संयुक्त परिवार के कॉन्सेप्ट को ही खारीज कर दिया है। आधुनिक परिवेश व शहरी जीवनशैली में संयुक्त परिवार व्यवहारिक तौर पर भी टेढ़ी खीर बन के रह गए है। लेकिन हां, यह भी सही है कि जेनरेशन गेप की समस्या ग्लोबलाइजेशन के साथ बढ़ती जा रही है।
तैयार किया ब्लू पिं्रट
मुझे आज भी याद है जब माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने पहली बार मल्टी च्वाइस टाइप प्रश्नों को परीक्षा प्रश्न पत्रों में शामिल किया गया। उस समय मैं बोर्ड के मैम्बर्स में था और लेखाशास्त्र के सेम्पल पेपर्स और ब्लू प्रिंट मैंने ही तैयार किए थे। यह परिवर्तन बच्चों के लिए उत्तर देने में आसान भी साबित हुआ और सेलेबस को पूरी तरह से कवर करने के लिए व्यवहारिक भी।
कल किसने देखा है
मैं हमेशा वर्तमान में जीया हूं। भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है इसकी चिंता भला क्यूं करें। भूत व भविष्य की चिंता कर अपने आज को कभी प्रभावित नहीं होने दिया। अपने सेवाकाल में भी इसी सिद्धान्त पर काम किया। अपनी पोस्टिंग को लेकर कभी मोह नहीं रखा, यहीं कारण रहा कि विभिन्न विभागों में काम करते हुए मैंने कई जगहों पर पोस्टेड रहा।
सख्त काननू व चुस्त प्रशासन हो
देश और दुनिया के लिए आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौति बन गया है।  हाल ही में मुम्बई की आतंकी घटना भारतीय खुफिया तंत्र पर तमाचा साबित हुई है। सुरक्षाकर्मियों के पास हथियारों की बात करें अथवा कानूनी खामियों की, सुधार की जरूरत है। अब आतंक के इससे निपटने का समय आ गया है। पाकिस्तान पर आर्थिक व राजनैतिक दबाव डालने के प्रयास जरूरी है।
उपलब्धियां
सन 2007 में राजस्थाना जन मंच की ओर से 'समाज रत्न' सम्मान
राजस्थान विश्वविद्यालय के सीनेटर रहे
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान के सदस्य
विभिन्न शिक्षा बोर्डों में आठ से ज्यादा पाठ्ïय पुस्तके प्रकाशित
शोभा स्मृति कोष चैरीटी ट्रस्ट के चैयरमैन
लेखाशास्त्र पर आधा दर्जन से अधिक पुस्तकों का लेखन

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