इंश्योरेंस के बावजूद स्टूडेंट अरसुरक्षित

-अवेयरनेस के अभाव में काम नहीं आ रही गवर्नमेंट की इंश्योरेंस स्कीम

जयपुर. देश के भावी नागरिकों स्टूडेंट्स की सुरक्षा के लिए गवर्नमेंट की ओर से शुरू की गई महत्वाकांक्षी इंश्योरेंस स्कीम उदासिनता का शिकार हो गई है। अवेयरनेस की वजह से स्टूडेंट्स तक इसका फायदा नहीं पहुंच पाया है। सड़क दुर्घटना एवं अकाल मौत का शिकार होने वाले विभिन्न गवर्नमेंट व प्राइवेट स्कूल स्टूडेंट्स के लिए करीब ४ साल पहले शुरू की गई विद्यार्थी सुरक्षा दुर्घटना बीमा योजना फाइलों में दम तोड़ रही है। एक्सपर्ट्र्स के अनुसार इसके पीछे संस्था प्रधानों की अरुचि और शिक्षा विभाग की उदासिनता सबसे बड़ा कारण है।  यही कारण है कि इस स्कीम का लाभ स्टूडेंट्स को नहीं मिल पा रहा है। 



योजना के पूर्ण रूप से क्रियान्वयन नहीं होने पर इसमें संशोधन कर प्रीमियम राशि को भी कम किया गया, इसके बावजूद भी नतीजा शून्य ही रहा। प्रदेश के विभिन्न जिलों में अनुदानित, गैर अनुदानित और निजी शिक्षण संस्थानों के छात्रों की सुरक्षा को लेककर अप्रैल २००६ में इस योजना की शुरुआत की गई, लेकिन यह अपने प्रारंभिक दौर में ही परवान न चढ़ सकी। राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग ने कक्षा एक से आठ एवं नौ से बारह तक के विद्यार्थियों से ५६ रुपए प्रीमियम राशि लेकर विद्यार्थी सुरक्षा बीमा योजना के तहत बीमा करने संबंधी परिपत्र जारी किया था। आरंभिक दौर में ही योजना के धूल फांकने पर विभाग ने नियमों में तब्दीलियां करते हुए कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों से दस रुपए एवं कक्षा नौ से बारह तक के विद्यार्थियों से पच्चीस रुपए प्रीमियम राशि लेकर दस से बीस हजार रुपए का बीमा तथा २५ रुपए प्रीमियम वाले छात्रों का ५० हजार रुपए का बीमा करने के आदेश दिए थे।

नहीं हैं जानकारी-

कई सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों के संस्था प्रधानों को इस योजना के बारे में जानकारी तक नहीं है। उनका कहना है कि उन्हें इस आशय बाबत आदेश भी प्राप्त नहीं हुए हैं। वहीं निजी शिक्षण संस्थानों के संचालकों का कहना है कि योजना का स्वरुप स्वैच्छिक है अत: वह अभिभवकों पर दबाव भी नहीं डाल सकते। योजना को लागू करने के लिए विद्यालयों में होर्डिंग और बोर्ड लगाने तथा गोष्ठियां आयोजित कर छात्रों और अभिभावकों को इस योजना के विषय में संपूर्ण जानकारी और फायदे बताए जाने थे, लेकिन यह भी संभव नहीं हो पाया।

इधर योजना के सफल मूर्तरूप न ले पाने के कारण शिक्षा विभाग ने समस्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को अभिभावकों और छात्रों को प्रेरित करने में ढिलाई बरतने वालों के विरूद्ध कार्यवाही के आदेश भी जारी किए थे, लेकिन योजना के साथ ही इन आदेशों की भी पालना नहीं की गई और छाद्ध कल्याण से जुड़ी एक स्वर्णिम योजना फाइलों में धूल फांक रही है।


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