आज तिलकुटा चौथ है, इसे सकंट चतुर्थी, माही चौथ भी कहते हैं- पढ़ें, व्रत और कथा

संकट चौथ, संकट चतुर्थी, माही चौथ या तिलकुटा चौथ सब एक ही हैं. यह त्योंहार माघ के कृष्ण चतुर्थी को मनाया जाता है. यानी आज बुधवार 27 जनवरी को.

इस दिन संकट हरण गणपति गणेशजी का पूजन होता है और इसे सभी संकटों तथा दुखों को दूर करने वाला बताया जाता है. इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य परिवार की खुशहाली के लिए उपवास रखती हैं.


चंद्रमा को अर्घ्य देकर उपवास खोलेंगी. पं. यज्ञदत्त शर्मा ने बताया कि इस व्रत में तिल से निर्मित वस्तुओं के दान देने का विशेष महत्व है. उन्होंने बताया कि तिलकुटा चौथ का उपवास करने वाली महिलाएं शाम को सूर्यास्त से पूर्व कथा सुनती है. रात को चंद्रमा उदय होने पर अर्घ्य देकर चौथ माता का पूजन कर पकवानों का भोग लगाती हैं. अपने से बड़ी और ननद, जैठानी, सास अथवा आयु में बड़ी महिलाओं को गजक, रेवड़ी, तिल की बर्फी का कंडवारा भी देती हैं. इसके बाद वे उपवास खोलती हैं. इस दिन कई सुहागिनें उजन भी करती हैं.  

यह है व्रत कथा:

किसी नगर में एक कुम्हार रहता था. एक बार जब उसने बर्तन बनाकर आंवां लगाया तो आंवां नहीं पका. परेशान होकर वह राजा के पास गया और बोला कि महाराज न जाने क्या कारण है कि आंवां पक ही नहीं रहा है. राजा ने राजपंडित को बुलाकर कारण पूछा. राजपंडित ने कहा, ''हर बार आंवां लगाते समय एक बच्चे की बलि देने से आंवां पक जाएगा.'' राजा का आदेश हो गया. बलि आरम्भ हुई. जिस परिवार की बारी होती, वह अपने बच्चों में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता. इस तरह कुछ दिनों बाद एक बुढि़या के लड़के की बारी आई. बुढि़या के एक ही बेटा था तथा उसके जीवन का सहारा था, पर राजाज्ञा कुछ नहीं देखती. दुखी बुढि़या सोचने लगी, ''मेरा एक ही बेटा है, वह भी सकट के दिन मुझ से जुदा हो जाएगा.'' तभी उसको एक उपाय सूझा. उसने लड़के को सकट की सुपारी तथा दूब का बीड़ा देकर कहा, ''भगवान का नाम लेकर आंवां में बैठ जाना. सकट माता तेरी रक्षा करेंगी.''
सकट के दिन बालक आंवां में बिठा दिया गया और बुढि़या सकट माता के सामने बैठकर पूजा प्रार्थना करने लगी. पहले तो आंवां पकने में कई दिन लग जाते थे, पर इस बार सकट माता की कृपा से एक ही रात में आंवां पक गया. सवेरे कुम्हार ने देखा तो हैरान रह गया. आंवां पक गया था और बुढि़या का बेटा जीवित व सुरक्षित था. सकट माता की कृपा से नगर के अन्य बालक भी जी उठे. यह देख नगरवासियों ने माता सकट की महिमा स्वीकार कर ली. तब से आज तक सकट माता की पूजा और व्रत का विधान चला आ रहा है.

आज रात 9.10 बजे निकलेगा चांद:

ज्योतिषाचार्य चंद्रमोहन दाधीच के अनुसार जयपुर में चंद्रोदय रात्रि 9.10 बजे होगा.

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