जयपुर शहर से माह जून - 2013 की आकाशीय स्थिति

जयपुर । 21 जून को सूर्य दक्षिणायन होगा, उस दिन दोपहर 12 बजे दक्षिणी क्षितिज से सूर्य की ऊँचाई अधिकतम होगी।
फलतः सबसे बड़ा दिन व सबसे छोटी रात। ऊपर आसमान में झिलमिलाते-टिमटिमाते तारों के बीच सिर्फ पाँच ग्रहों
को ही हम कोरी आँखों से देख पाते हैं। बुध, शुक्र और शनि संध्याकाश की शोभा बढ़ा रहे हैं। बृहस्पति पश्चिमी
क्षितिज से विदा ले रहा है और मंगल माह के अन्त में भोर में पूर्वी क्षितिज पर अपनी जगह बना रहा है।
नन्हा बुध सीधी चाल में पश्चिर्मी िक्षतिज पर मिथुन राशि में मौजूद है। कठिनाई से नजर आने वाले इस ग्रह को
पहचानने का यह एक सुनहरा अवसर है। सूर्यास्त होते ही पश्चिमी क्षितिज पर चमकदार शुक्र से जरा ऊपर उत्तर में
इसे ढूँढने का प्रयास सफलता दिलवा सकता है। बुध 12 को क्षितिज से अपनी अधिकतम ऊँचाई, 26 से वक्री और 29
जून से सूर्य की प्रभा में छिप जायेगा। इसी बीच 21 जून को यह शुक्र से थोड़ा दक्षिण में साथ-साथ होगा।
सबसे चमकदार ग्रह शुक्र श्साँझ का ताराश् बनकर उभर रहा है। आने वाले कई महीनों तक यह सूर्यास्त के बाद
पश्चिमी क्षितिज पर अपनी जगमगाहट से सभी को आकृष्ट करेगा। अँधेरा होने से पहले ही आप इसे पहचान लेंगे।
महारथी मंगल पिछले कई महीनों से सूर्य की प्रभा में है। 24 जून से यह सूर्योदय के पहले पूर्वी क्षितिज पर अपनी
जगह बनायेगा। लाल ग्रह को देखने के लिए अगले महीने तक इन्तजार करना होगा।
सबसे विशाल ग्रह बृहस्पति वृषभ से मिथुन में पहँुचने के बावजूद पश्चिमी क्षितिज पर बहुत ही कम ऊँचाई पर है। 6
जून से यह सूर्य की प्रभा में छिप जायेगा। दरअसल पिछले कई महीनों से अपना जलवा बिखेर रहे ग्रहराज पश्चिमी
क्षितिज से विदा ले रहे हैं।
वलयधारी शनि तुला राशि व वक्र गति में हैं। तारों की झिलमिलाहट शुरू होते ही इन्हें आप मध्याकाश में आसानी से
पकड़ सकते हैं। वलयों से घिरे इस सुन्दर ग्रह को कभी एक छोटी दूरबीन से देखिये आप खुश हो जायेंगे। कन्या
राशि के चमकदार नक्षत्र चित्रा से पूर्व दिशा में शनि चमक बिखेर रहा है।
चन्द्रमा 10 को शुक्र व बुध और 19 जून को शनि के आस-पास होगा। इस विधि से भी आप इन तीनों ग्रहों को
आसमान में पहचान सकते हैं।
संध्याकाश में पूर्व-उत्तर क्षितिज पर हंसमण्डल तथा दक्षिणी क्षितिज पर वृश्चिक व धुन का आगमन हो चुका है। इन
तारामण्डलों में स्थित कई तारापुंजों को वर्ग की आकृति में दर्शाया गया है। इन चमकदार पुंजों की रोचकता एक छोटे
दूरबीन या बाइनाकूलर से स्पष्ट होती है। हंसमण्डल का चमकदार तारा है डेनब। इसके पास एक बहुत ही चमकदार
तारापुंज है - एम-39। एम-39 में लगभग 30 तारे हैं। हंसमण्डल ऐसा प्रतीत होता है जैसे सचमुच कोई हंस पंख
फैलाये उड़ान भर रहा हो। हंसमण्डल से लेकर वृश्चिक-धनु तक आकाशगंगा की पाट में अनेकों पुंज बिखरे पड़े हैं।
उत्तरी आसमान में भव्य व प्रसिद्ध सप्तर्षिमण्डल नजर आ रहा है। सप्तर्षिमण्डल की मदद से अन्य सितारों व तारामण्डलों को पहचाना
जा सकता है। सप्तर्षि के अन्तिम तीन तारे वक्र के रूप में नजर आते हैं। इस वक्र को दक्षिण दिशा में आगे बढ़ाने पर एक अजीब सी
चमक लिए झिलमिलाता तारा नजर आयेगा - स्वाति नक्षत्र। स्वाति से और आगे इसी वक्र के सहारे दक्षिण में कन्या राशि के चमकदार
नक्षत्र चित्रा को आप पहचान सकते हैं। चित्रा से पूर्व दिशा में शनि ग्रह मौजूद है - बिल्कुल तारे जैसा ही। यह तुला राशि है। उत्तरी
आसमान का मध्याकाश में राजमुकुट के आकार में छटा बिखेर रहा है - सुनीतिमण्डल - धुँधले सितारों का एक रोचक समूह।
दक्षिणी आसमान की ओर गौर कीजिए। सुन्दरतम व व्यवस्थित तारामण्डल वृश्चिक राशि को पहचानने का अच्छा अवसर है। वृश्चिक
के सिर के पास है चमकदार लाल नक्षत्र - ज्येष्ठा। वृश्चिक की पूँछ के पास मध्यम दर्जे के लगभग 8 सितारे श्चाय की केतलीश् के
आकार में नजर आते हैं - धनु राशि। उधर सिंह राशि पश्चिमी क्षितिज पर अस्त होने वाली है।
जून में सूर्य वृषभ से निकल मिथुन राशि में प्रवेश करता है तथा इसके उदय अस्त का समय का समय निम्न प्रकार है:-
उदय अस्त
10 जून 5ः32 7ः21
20 जून 5ः34 7ः25
30 जून 5ः36 7ः26
सूर्योदय व सूर्यास्त के समय पर गौर कीजिए। पूरे जून लगभग 14 घण्टे का दिन व 10 घण्टे की रात होती है। प्रस्तुत मानचित्र 1 जून
को रात्रि 11ः30 बजे, 15 जून को रात्रि 10ः30 बजे व 30 जून को रात्रि 09ः30 बजे की जयपुर शहर से आकाशीय स्थिति दर्शाता है।

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